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बच्चों की दुनिया पर आतंक का साया

यात्रा
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बचपन किसी भी देश, जाति या धर्म का हो उसकी अकाल मौत न सिर्फ़ सवाल खडे करती है बल्कि कहीं अदंर तक आहत भी करती है | पेशावर के सैनिक स्कूल में जिस तरह से मासूम बच्चों का बचपन आतंकवाद की भेंट चढा इसने पूरी दुनिया के सामने धर्म के नाम पर किये जाने वाले जेहाद का असली चेहरा सामने रख दिया है | इसने इस बात को भी साबित कर दिया है कि आतंकवाद कभी भी ‘ अच्छा ‘ या ‘ बुरा ‘ नही हो सकता | वह सिर्फ़ और सिर्फ़ बुरा ही होता है | आतंकवाद को पाकिस्तान का देखने का नजरिया कुछ ऐसा ही रहा है |

पूरी दुनिया मे अपने पैर फ़ैला रहा आतंकवाद का ऐसा घिनौना और वहशी चेहरा पहले कभी किसी ने नही देखा | दहशत की खेती बोने वाले इस आतंकवाद ने अब मासूम बच्चों को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है | यही नही यह मासूमों को अपना मोहरा भी बनाने लगा है | एक तरह से यह एक पीढी को अपने सांचे मे ढालने की कोशिश है | उन्हें नफ़रत का ऐसा पाठ पढाया जा रहा है जिससे आगे चल कर वह आतंकवाद की आग को आगे बढा सकें | यह इसका सबसे खतरनाक पहलू है | तालिबान ने यह रणनीति अपना कर खौफ़ का एक नया संदेश अपने तरीके से देने की कोशिश की है | देखने वाली बात तो यह है कि क्या दुनिया के तमाम देश अब भी इस घिनौने आतंकवाद के खिलाफ़ एक्जुट हो पाते हैं या नहीं |

इराक में सक्रिय आतंकवादी संगठन ‘ इस्लामिक स्टेट ‘  अब बच्चों को अपनी जेहाद का मोहरा बना रहा है । अभी तक इस संगठन के मुखिया अबु बकर अल बगदादी मुस्लिम युवाओं को दुनिया में इस्लामिक स्टेट का सपना दिखा कर अपनी लडाई में शामिल करते आये हैं । बगदादी अपने मजहबी भाषणों और वीडियो के जरिये मुस्लिम युवाओं को यह समझाने में सफल रहा है कि दुनिया में इस्लाम खतरे मे है और शरीयत के अनुसार एक इस्लामिक देश बनाया जा सकता है जो दुनिया पर राज करे लेकिन इसके लिए एकजुट होकर लडना होगा । कई देशों के युवा उसकी बातों से प्र्भावित हो उसके साथ शामिल हो चुके हैं ।

अगर सीरियन आब्जर्बेटरी फार ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट के आंकडों पर विश्वास करें तो इस संगठ्न के पास लगभग 50 हजार लडाके इरान में और 30 हजार सीरिया में हैं । इनमें अच्छी खासी संख्या विदेशी लडाकों की भी है । इनमें मुख्य रूप से फ्रांस, ब्रिटेन, चेचेन्या आदि देशों के युवा शामिल हैं ।

पांच साल से 14 साल तक के बच्चों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देकर इन्हें लडाई में झोंका जा रहा है । दर-असल बच्चों को शामिल करना इस संगठन की बहुत सोची समझी रणनीति है । यह एक पीढी के मासूम दिलो-दिमाग में अभी से नफरत पैदा कर इस्लाम के लिए लडने वाले जेहादियों की एक खतरनाक फौज तैयार कर रहा है । उसका मकसद आने वाले समय के लिए इन्हें तैयार करना है ।

यही नही, इन बच्चों को लडाई के मोर्चों पर एक ढाल के रूप में भी इस्तेमाल करने की उसकी सोची समझी योजना है । वह जानता है कि जब इन कम उम्र बच्चों के हाथों में हथियार होंगे और यह आग उगल रहे होंगे तब अमरीका या कोई भी दूसरा देश चाह कर भी इनके विरूध्द वह सैन्य कार्यवाही न कर सकेगा जो अभी तक उसके लिए संभव है । इनके मारे जाने पर विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया उसके पक्ष मे जायेगी ।

आज पूरा विश्व आतंकवाद के जिस चेहरे को देख रहा है वह आने वाले कल मे और भी भयावह होगा लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि अभी भी बहुत से देश इसके जहर को या तो समझ नहीं पा रहे हैं या फिर राजनैतिक व धार्मिक कारणों के चलते समझना ही नहीं चाहते । वैसे भी अगर आतंकवाद के इतिहास पर नजर डालें तो शुरूआती दौर में कुछ देशों के निहित स्वार्थों के चलते ही आतंकवाद का प्रसार हुआ था । यह दीगर बात है कि अब अपने ही हितों के लिए खडा किया गया यह दैत्य पूरी दुनिया के वजूद के लिए ही खतरा बन रहा है ।

दर्-असल सत्तर व अस्सी के दशक में दुनिया के कई देश अपने निहित स्वार्थों के लिए आतंकवाद को बढावा देते आये थे और अपने को बडी चालाकी से इससे अलग रखने में भी सफल रहे थे । दूसरे देशों में अस्थिरता पैदा करने के लिए आतंकवाद का सहारा लिया जाता रहा । कई ऐसे देश रहे जिन्होने आतंकवादी संगठनों को बाकायदा सुविधाएं उपलब्ध कराईं और दूसरे राष्ट्रों के विरूध्द उकसाने का काम किया ।

दर-असल अपने अपने राजनीतिक हितों के लिए प्र्त्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन देने का परिणाम यह निकला कि पूरे विश्व में आतंकवाद का एक जाल सा बिछ गया और समय के साथ इन सभी संगठनों के उद्देश्य भी बदलते चले गये । अब इनसे मुक्त हो पाना मुश्किल लग रहा है । लेकिन यह असंभव भी नही है । इसके लिए जरूरी है कि विश्व राजनीति मे कथनी और करनी में फर्क न हो ।

अभी तक होता यह आया है कि अगर एक देश आतंक के घावों से रोज-ब रोज जूझ रहा है तो दूसरा सिर्फ़ तमाशा देखता है और तीसरा उस पर राजनीति करता है | अभी तक स्वयं पाकिस्तान भी यही करता रहा है | लेकिन उसे इस दर्दनाक घटना से सबक सीख लेना चाहिए कि आतंकवादी किसी के सगे नही होते | वह आज आप के साथ हैं कल आपके खिलाफ़ भी हो सकते हैं | इसके साथ ही यह जरूरी हो गया है कि सभी देश ऐसे खतरनाक मंसूबों के विरूध्द एक्जुट होकर सामने आयें | वरना पूरी दुनिया का वजूद ही खतरे में पड जायेगा |

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