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अब नेपाल के सामने पहाड सी चुनौतियां

यात्रा
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हिमालय की गोद मे 147181 वर्ग किलोमीटर मे बसे नेपाल मे प्रकृति ने जो तांडव किया इसने पूरी दुनिया को न सिर्फ़ विचलित किया अपितु सोचने पर भी मजबूर कर दिया | चंद लम्हों मे आई इस भीषण तबाही से इस देश मे जान माल का जो नुकसान हुआ है उसका आकलन करना इतना आसान नही | लेकिन खुली आंखों से जो मंजर दिखाई दिया, उससे इतना तो स्पष्ट है कि अब इस हिमालयी देश को अपने पैरों मे खडे होने मे बहुत समय लगेगा | ऐसे मे तबाह हो चुकी इस देश की अर्थव्यवस्था को पटरी मे लाने के लिए विश्व बिरादरी के मदद की दरकार होगी |

वैसे तो मौत और तबाही के इन भावुक लम्हों मे विश्व समुदाय ने यथासंभव मदद कर घावों मे मलहम लगाने का भरसक प्रयास किया है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर इस देश के लिए इतना ही प्रर्याप्त नही है | दुनिया के तमाम देशों की यह संवेदना तो उसके ताजे रिसते हुए घावों मे मलहम का काम करेगी ही लेकिन असली परीक्षा तो अब शुरू होगी |

दर-असल इधर कुछ वर्षों से नेपाल राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजरता रहा है | हाल मे हालात कुछ सामान्य हुए और विकास के रूके हुए कामों को कुछ गति मिलने लगी थी | लेकिन भूकंप की इस विनाशलीला ने सबकुछ तहस नहस कर इस देश को फ़िर कहीं पीछे धकेल दिया है |

अमरीका के भौगोलिक सर्वे ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि चंद मिनटों मे नेपाल को 10 अरब डालर ( करीब 63,000 करोड रूपये ) का नुकसान हो गया है | नेपाल की कुल अर्थव्यवस्था 20 अरब डालर ( 1,26,000 करोड रूपये ) है | सर्वे मे कहा गया है कि नेपाल की आधी अर्थव्यस्था खत्म हो गई है |

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलाजिकल सर्वे मे भी शुरूआती अनुमान के अनुसार भूकंप से नुकसान 10 अरब डालर तक हो सकता है | लेकिन चूंकि भूकंप 25 अप्रेल के बाद भी लगातार आता रहा है इसलिए नुकसान इस अनुमान से कहीं ज्यादा होने की संभावना है | कुछ ने इस नुकसान का अनुमान नेपाल की कुल सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी ) यानी 20 अरब डालर के लगभग माना है | बहरहाल पुख्ता अनुमान अभी लगाना संभव भी नही है | लेकिन इतना तय है कि इस त्रासदी ने नेपाल की अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का पहुंचाया है | इससे उबरने मे इसे कई वर्षों का समय लगेगा |

भौगोलिक रूप से तीन भागों – पर्वतीय, शिवालिक और तराई क्षेत्र मे बंटा यह देश पारंपरिक रूप से कृषि आधारित रहा है | 1990 से पूर्व यहां की अर्थव्यवस्था मे कृषि का योगदान 39 प्रतिशत रहा है जो अब घट कर 33 प्रतिशत रह गया था | यह तेजी से बदलते आर्थिक परिवेश के कारण संभव हो सका | हाल के वर्षों मे आए बदलावों के फ़लस्वरूप नेपाल की अर्थव्यवस्था मे सेवा क्षेत्र की भूमिका तेजी से बढी है | यहां के सकल घरेलू उत्पाद मे इसका योगदान 52 प्रतिशत से अधिक है | इस क्षेत्र मे आय का प्रमुख जरिया पर्यटन उद्योग है |

सांस्कृतिक रूप से नेपाल की एक समृध्द विरासत रही है | यहां समय के विभिन्न कालखंडों मे विभिन्न राजाओं दवारा बनाये गये मंदिरों की भरमार है | यूनेस्को की सात विश्व धरोहर भी नेपाल में ही हैं | इस सांस्कृतिक व पुरातत्व महत्व की पृष्ठ्भूमि के कारण यहां प्रतिवर्ष लगभग आठ लाख पर्यटक आते हैं | जिससे देश को लगभग 45 करोड डालर की आय होती है | इसके अतिरिक्त पर्यटन उद्योग मे रोजगार भी तेजी से बढा है | लेकिन अब जबकि अधिकांश पर्यटन स्थलों को भारी नुकसान पहुंचा है तथा कुछ तो पूरी तरह से खत्म ही हो चुके हैं, इसने पर्यटन व्यवसाय की कमर ही तोड दी है | आखिर पर्यटक अब क्या देखने नेपाल आयेगा , यह एक बडा सवाल है | इन्हें दोबारा बनाने, संवारने मे एक लंबा समय लगेगा | एक तरह से इस भूकंप ने नेपाल की अर्थव्यवस्था की रीढ कहे जाने वाले पर्यटन व्यवसाय को पूरी तरह से चौपट कर दिया है | यही इस देश का सबसे बडा चिंता का विषय है |

इसके अलावा सरकारी इमारतों, अस्पतालों व अन्य सार्वजनिक भवनों के पूरी तरह से बर्बाद हो जाने के कारण भी करोडों रूपयों का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करना भी इतना आसान नही है | विदेशी निवेश को भी इस भूकंप ने करारा झटका दिया है | यह नेपाल जैसे कमजोर देश के लिए एक सदमे से कम नही |

कुल मिला कर भूकंप की तंरगें जो गुजर गईं इस देश को ऐसे घाव दे गई जिनका भर पाना निकट भविष्य मे संभव नही दिखता | ऐसे मे इस लाचार, बेबस देश को दोबारा पटरी पर लाने के लिए भारी आर्थिक सहायता की जरूरत होगी | दुनिया के तमाम देश अगर इस दिशा मे ठोस पहल कर सके तो यह नेपाल की बर्बाद अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का काम करेगा | इसलिए जरूरी है कि तात्कालिक सहायता के साथ साथ ऐसे उपाय भी किये जाएं जिससे इस देश को अपने पैरों मे दोबारा खडे होने मे सहायता मिल सके | यह विश्व बिरादरी की पहल से ही संभव है |

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