Menu
blogid : 18110 postid : 909627

संकट मे परीक्षाओँ की साख

यात्रा
यात्रा
  • 178 Posts
  • 955 Comments

फ़र्जी डिग्री का राजनीतिक मुद्दा अभी ठंडा भी नही हुआ था कि प्रतियोगी परीक्षाओं की पवित्रता व विश्वसनीयता सवालों के घेरे मे आ गई | देश के लिए भावी डाक्टरों का चयन करने वाली प्रतिष्ठित परीक्षा आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट ,2015 को उच्चतम न्यायालन ने रद्द कर दिया है | साथ ही सी बी एस सी बोर्ड को निर्देश दिये हैं कि चार सप्ताह के अंदर दोबारा परीक्षा कराई जाए | देश के 1050 परीक्षा केन्द्रों मे लगभग 6 लाख छात्रों दवारा दी गई इस परीक्षा का अभी हाल के वर्षों तक काफ़ी प्रतिष्ठा रही है | लेकिन इधर इस पर भी उंगलियां उठने लगी हैं | गत तीन मई को सम्पन्न हुई इस परीक्षा मे बडे पैमाने पर नकल का पर्दाफ़ाश हुआ था | अदालत के सामने भी इस परीक्षा को रद्द करने का निर्णय लेना इतना आसान नही था | इस परीक्षा के दोबारा होने से मेडिकल कालेजों मे प्रवेश की पूरी  प्रकिया ही प्रभावित हो सकती है |

दर-असल इस अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा के माध्यम से राज्यों के मेडिकल कालेजों की 15 प्रतिशत सीटें भरी जाती हैं | छात्र अपने राज्य की मेडिकल प्रवेश परीक्षा से ज्यादा महत्व इस परीक्षा को देते हैं | इस परीक्षा मे चयन हो जाने पर अक्सर राज्य मेडिकल प्र्वेश परीक्षा की सीट छोड देने के विकल्प को ही प्रमुखता देते हैं | लेकिन अब जब यह परीक्षा ही रद्द हो गई है, सबकुछ गडमड हो गया है | अब या तो छात्र राज्य मेडिकल परीक्षा के आधार पर मिल रही सीट को छोड कर इस परीक्षा मे चयन होने का जोखिम लें या फ़िर इस परीक्षा को अपने दिमाग से ही निकाल कर राज्य प्री मेडिकल प्रवेश परीक्षा मे मिल रही सीट से अपने डाक्टर बनने के सपने को पूरा करें |

वैसे यहां गौरतलब यह भी है कि इस बार उत्तर प्रदेश प्री मेडिकल परीक्षा भी संदेह के घेरे मे है | पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने लखनऊ मे लगभग एक दर्जन लोगों को पर्चा आउट करते हुए पकडा था | उनके पास से पर्चे की फ़ोटोकापी भी बरामद हुई थी | लेकिन शासन स्तर पर कुछ न होने के कारण कुछ छात्र इलाहाबाद उच्च न्यायालय गये जहां 28 जुलाई को सुनवाई होनी है | लेकिन पता नही क्यों अतिरिक्त तेजी दिखाते हुए परीक्षा के परिणाम समय से पहले ही घोषित कर दिये गये हैं | इससे शंका और गहरा गई है | बहरहाल इस परीक्षा के ऊपर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं |

ऐसा पहली बार नही हुआ है । इसके पूर्व प्रदेश की प्री-मेडिकल परीक्षाओं मे व्यापक स्तर पर नकल और संगठित भ्र्ष्टाचार के मामले प्रकाश मे आए हैं । प्रतिवर्ष इस मेडिकल परीक्षा मे मुन्ना भाई पकडे जाते हैं लेकिन यह सिलसिला बदस्तूर जारी है । इंजीनियरिंग परीक्षा मे भी नकल का आरोप लगता रहा है । कर्मचारी चयन आयोग व रेलवे बोर्ड की परीक्षाओं मे भी कई बार ‘ मुन्ना भाई ‘ पकडे गये हैं और प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाएं सामने आई हैं ।

इधर कुछ वर्षों मे प्रतियोगी परीक्षाओँ मे यह बीमारी तेजी से बढी है । तीन साल पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के परास्नातक दाखिले के लिए होने वाली परीक्षाओं मे अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर नकल करने के प्रयास किए गये थे । इसका सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि नकल के यह प्रयास अब बहुत ही संगठित व अत्याधुनिक तकनीक के उपयोग से किए जा रहे हैं । इनमें उच्चस्तर के लोगों की भूमिका भी संदेह के घेरे मे है । लेकिन विडंबना यह है कि ऐसे मामलों मे कुछ दिन शोर मचने की बाद जांच के परिणामों के बारे मे कोई जानकारी नही मिलती ।

शिक्षा व रोजगार से जुडे इस पहलू का एक स्याह पक्ष यह भी है कि कालेज व विश्वविधालय स्तर की परीक्षाएं भी नकल व भ्ष्टाचार से मुक्त नही हैं । अभी हाल मे बिहार की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा मे नकल का जो नजारा पूरे देश ने देखा वह अदभुत था । यानी एक तरह से शिक्षा का पूरा क्षेत्र ही भ्रष्टाचार का शिकार है । थोडा और पीछे जाएं तो स्कूल कालेजों मे होने वाले प्रवेश व प्रवेश परीक्षाएं भी हेरा फेरी से मुक्त नही हैं । कुल मिला कर ऐसा कुचक्र बन गया है कि मेधावी छात्रों का भविष्य खतरे मे दिखाई देने लगा है ।

नकल और भ्र्ष्टाचार के दलदल मे गहरी धंसती हुई इन प्रतियोगी परीक्षाओं की साख साल-दर-साल खत्म हो रही है । इससे सबसे बडा अहित उन छात्रों का हो रहा है जो इन परीक्षाओं के माध्यम से सरकारी सेवा मे आने का सपना देखते हैं । इसके लिए वह अपने गांव-कस्बों को छोड शहरों मे रह कर कोचिंग और किताबों मे पैसा खर्च करते हैं । रात दिन की मेहनत के बाद उन्हें पता चलता है कि जिस प्रश्नपत्र को वह देकर आए हैं वह तो पहले से ही लीक है । ऐसे मे उनकी मनोदशा क्या होगी, इसे सिर्फ सोचा जा सकता है ।

बार बार परीक्षाओं मे नकल होने का बखेडा व उच्च स्तर पर धांधली की खबरें इनके उत्साह और मनोबल को भी तोडती हैं । उनका विश्वास इन परीक्षाओं से उठने लगता है । एकदिन वह कुंठित हो जाते हैं । यही हालात रहे तो एकदिन मेधावी छात्र सरकारी सेवाओं मे प्रदेश  की इन प्रतियोगी परीक्षाओं से ही किनारा कर लेंगे और निजी क्षेत्र मे अपने भविष्य की तलाश करेंगे । ऐसे मे सरकारी सेवा के विभिन्न क्षेत्रों के लिए दोयम दर्जे के अभ्यर्थी ही मिल सकेंगे और उनके हाथों मे देश व प्रदेश के शासन की जिम्मेदारी होगी । तब देश किस दिशा को अग्रसर होगा, आसानी से सोचा जा सकता है ।

Read Comments

    Post a comment