अभी हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में गिध्दों की संख्या बडी तेजी से कम हो रही है । इसे लुप्त होने की कगार पर मान लिया गया है । ह्मारी दुनिया के लिये यह एक बुरी खबर है । दरअसल गिध्द हमारा एक अच्छा सेवक व दोस्त रहा है । धरती की गंदगी को साफ कर इसे सुंदर बनाने का काम यह करते रहे हैं ।इस सुदंर धरती पर रहते हुए अपने इस दोस्त की परेशानियों, दुख दर्दों के बारे मे हमने कभी गंभीरता से सोचा ही नही । आज हालात यह हैं कि हमारा यह दोस्त व सेवक न जाने कब हमसे अलविदा कह दे । सच तो यह है कि बेचारा हमारा यह दोस्त हमेशा घृणा का पात्र ही बना रहा ।
वैसे तो रामायण में उल्लेख है कि जटायू नामक गिध्द ने ही उस समय रावण का रास्ता रोक लिया था जब वह सीता जी को बलपूर्वक लंका ले जा रहा था । जटायू और रावण के बीच युध्द भी हुआ और वह घायल हो जमीन पर गिर पडा । बाद में जब राम सीता जी की खोज में निकले तब उसने ही उन्हें सीता जी के बारे में बताया था ।
दुनिया के दूसरे देशों में भी गिध्दों को लेकर कई कथाएं हैं । कहीं कहीं तो इनकी पूजा भी की जाती है । सिंदबाद की यात्रा कथाओं में भी इनका उल्लेख है ।
गिध्द अपनी कुछ विशेषताओं के कारण जाने जाते हैं । इनकी नजर बहुत तेज होती है और यह बहुत ऊचाई से भी धरती पर चीज को देख लेते हैं । इनमें एक गुण यह भी है कि यह काफी ऊंचाई पर भी बिना पंख हिलाए उड सकता है और बडी तेज गति से सीधे नीचे आ सकता है ।इन्हें श्मशानों, मुर्दाघरों और कुछ ऐसे ही स्थानों में आसानी से देखा जा सकता है । जब किसी क्षेत्र् में प्राकृतिक आपदा से जीव मर जाते हैं तब इन्हें आकाश में मंडराते देखा जा सकता है । यह कडाके की ठंड और बारिस को ज्यादा सहन नही कर पाते लेकिन गर्मी इन्हे बहुत पंसद है ।
ज्यादा ठंड होने पर यह चुपचाप अपने घोंसलों में दुबक जाते हैं । यह ऊंचे पेडों की टहनियों या फिर पुरानी इमारतों के खंडहरों में ही मिलते हैं । मादा गिध्द अपने अंडे यहीं देती हैं और जब तक बच्चे बाहर नही आ जाते गिध्द ही मादा के लिये भोजन की व्यवस्था करता है ।
गिध्द एक ऐसा पछी है जो अपने वजन से भी ज्यादा मांस खा जाता है । वह भी सडा मांस । चूकि इसके सूंघने की क्षमता नहीं के बराबर होती है इसलिए मांस सडा हो या ताजा इससे कोई फर्क नही पड्ता । यह मांस का इतना शौकिन है कि इसे किसी मरे जानवर के पास कई कई दिन तक देखा जा सकता है । भोजन के मामले मे यह न सिर्फ पेटू होता है अपितु जल्द्बाज भी होता है । लेकिन एक अच्छी आदत भी है यह समूह में बिना किसी गिले शिकवे के भोजन कर लेता है।यह इतनी तेजी से खाता है कि बडे से बडे जानवर को भी 40-50 गिध्द पांच मिनट में साफ कर जाते हैं । लेकिन कभी खराब समय आने पर एक माह तक भूखा भी रह सकता है।
जब यह भोजन कर रहा होता है तब खुशी मे अपनी कर्कश आवाज में चिल्लाता भी है। लेकिन कुछ मामलों में यह अपने समाज के नियमों का पालन हमेशा करता है। यदि कोई समूह खा रहा हो तो दूसरा समूह चुपचाप इंतजार करता है। और फिर जो भी बचा खा लेता है। इनके समाज में एक नियम य्ह भी है कि भोजन की शुरुआत सबसे पहले वह गिध्द करता है जिसने उस भोजन की तलाश की हो। इस नियम का लाभ उसे यह मिलता है कि जीव के सबसे स्वादिष्ट हिस्से का मांस का स्वाद आराम से मिल जाता है। यह अनुशासन दूसरे जीवों में कम ही दिखाई देता है।
इन्हे कभी कभी बाहरी हमलों का भी सामना करना पड जाता है। इन्हें मांस खाते देख लोमडी, भेडिया व कुत्ते आदि भी आ ट्पकते हैं और कौशिश करते हैं कि थोडा बहुत मिल जाए। लेकिन उनकी यह इच्छा आसानी से पूरी नही होती। इन्हें आता देख गिध्द इनमें झपट पडते हैं और इन्हें भगाने के लिए अपनी चोंच का इस्तेमाल करते हैं तथा अपने फंख फड्फडा कर इन्हें दूर भगाने की कोशिश करते हैं।
दुनिया में इंनकी कई प्र्जातियां हैं लेकिन भारत में आमतौर पर चमर गिध्द, राजगिध और गोबर गिध्द ही पाये जाते हैं। चमरगिध हमारे यहां सबसे अधिक पाये जाते हैं। यह समूह में रहते हैं। वैसे राजगिध दूसरों की तुलना में ज्यादा सुदंर माने जाते हैं। इनकी गर्दन का रंग लाल होता है। तेज उडान भरने में कोई इनकी बराबरी नही कर सकता। यह जोडे में रहते हैं। द. अमरीका, पेरु व चिली आदि देशों में बडे आकार के गिध्द पाये जाते हैं। इनके सर पर एक कलगी भी होती है। लेकिन यह खतरनाक भी होते हैं। छोटे बच्चों को ले उड्ते हैं। दुनिया में ऐसे भी गिद्ध हैं जो मांस नही खाते हैं।
कुल मिला कर गिद्ध चाहे कितना ही बदसूरत क्यों न हों हमारी दुनिया को गंदगी का ढेर बनने से बचाता है। अगर यह न होता तो हमारी दुनिया इतनी सुंदर न दिखती। लेकिन हमारी उपेक्षा, पर्यावरण संबधित कारणों तथा बढ्ते शहरीकरण के कारण आज इनका अस्तित्व ही खतरे मे पड गया है । अगर हम अब भी न चेते तो हमारा यह दोस्त हमेशा के लिए इस ग्रह से अलविदा कह जायेगा और हमारे पास इस दोस्त की यादें शेष रह जायेगीं ।
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