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जनवरी 2015 को देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीसह आर.एस.लोढा की अध्यक्षता मे भारतीय क्रिकेट के हित के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया था 18 जुलाई को उसकी अधिकांश सिफारिशों को उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार करते हुए लागू करने के आदेश पारित कर दिये । दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड अब सही रास्ते पर चल सकेगा, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए । दर–असल पावर, पैसा और शोहरत का प्रर्याय बने क्रिकेट बोर्ड को लेकर देश मे तमाम चर्चाएं गर्म रही हैं ।
आई.पी.एल. के क्रिकेट सर्कस ने कोढ पर खाज का काम किया । इसका परिणाम यह निकला कि क्रिकेट का यह संस्करण महज पैसे का तमाशा बन कर रह गया । मैच फिक्सिंग व सट्टे के आरोपों के चलते इसकी रही सही साख भी खत्म होती गई । तमाम आरोपों व विवादों के बीच इस जैटलमैन गेम की साख को बचाने के लिए अदालत को हस्तक्षेप करना पडा । अब लोढा समिति की जिन सिफारिशों के क्रियांवयन की बात उच्चतम न्यायालय ने की है अगर उनका ईमानदारी से पालन किया जाए तो यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक नये सवेरे की तरह होगा ।
दर–असल इधर कुछ वर्षों से बी.सी.सी.आई व राज्य क्रिकेट संघों पर कई कारणों से उंगुलियां उठने लगी थीं । मंत्रियों, नेताओं व खेल मठाधीशों के तमाम तिकडमों के चलते खेल ही खतरे मे पडने लगा था । इसका एक बडा कारण क्रिकेट बोर्ड मे कई लोगों का लंबे समय से काबिज रहना भी था और यह अपने पद व रसूख का इस्तेमाल करने मे इतने चतुर खिलाडी बन चुके थे कि कोई भी आसानी से इनके विरूधद जाने का साहस नही जुटा पा रहा था । कई ऐसे नाम हैं जिन्होने लंबे समय से भारतीय क्रिकेट को अपने गिरफ्त मे ले रखा है । अब इस फैसले से क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के इन मठाधीशों के अस्तित्व पर ही तलवार लटक गई है । यह सभी इस फैसले से हतप्रभ हैं । बेशक यह कह रहे हों कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और देखेंगे कि कैसे लोढा समिति की सिफारिशों को लागू कर सकते हैं । लेकिन सच यह है कि सबसे पहली गाज इन पदाधिकारियों पर ही गिरेगी ।
इस समिति की क्रिकेट के हित मे जो बडी सिफारिशें हैं उनमे एक है कि बी.सी.सी.आई का पदाधिकारी बनने के लिए अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष की होगी । इसके साथ ही कोई मंत्री या सरकारी अफसर बोर्ड का पदाधिकारी नही बन सकता । कोई भी अधिकतम तीन कार्यकाल और कुल नौ वर्षों तक ही पदाधिकारी रह सकता है । किसी भी पदाधिकारी को लगातार दो से ज्यादा कार्यकाल नही मिलने चाहिए । यही नही, एक कार्यकाल पूरा होने के बाद कुल समय के लिए कूलिंग पीरिएड का भी प्रावधान है । यही नही, आई.ई.एल. व बी.सी.सी.आई के लिये अलग अलग गवर्निंग काउंसिल की भी सिफारिश की गई है । इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण सिफारिश यह भी है कि एक राज्य का एक वोट होगा ।
बहरहाल, लोढा समिति की सिफारिशों ने कई पुराने दिग्गजों व मठाधीशों की नींद उडा दी है । अब कोई मंत्री या अफसर पदाधिकारी नही बन सकेगा । ऐसे मे कई दिग्गजों का जाना तय है । दो पद पर न रहने की सिफारिश की गाज भी कई महारथियों पर गिरेगी और उन्हें अपने रसूख मे कमी करने को मजबूर होना पडेगा । जो लोग लंबे समय से क्रिकेट संघों व बोर्ड मे काबिज रहे हैं उनकी विदाई लगभग तय है ।
कुछ महत्वपूर्ण फैसलों को समिति ने सरकार के पाले मे डाल दिया है । इसमे एक महत्वपूर्ण फैसला बी.सी.सी.आई को आर.टी.आई के दायरे मे लाने और दूसरा सट्टेबाजी को कानूनी रूप देने का है । बहरहाल अब देखना है कि यह सिफारिशें भारतीय क्रिकेट का कितना भला कर सकेंगी । वैसे इसमे कोई अनावश्यक हिला हवाली न हो इसके लिए इसके क्रियांवयन व समय सीमा तय करने का जिम्मेदारी लोढा समिति को दी गई है । उम्मीद की जानी चाहिए कि यह सिफारिशें पूरी ईमानदारी लागू होंगी व भारतीय क्रिकेट उन विवादों से मुक्त हो सकेगा जिनको लेकर बहुत सी शंकाएं उत्पन्न होने लगी थीं और भारतीय क्रिकेट को रोगग्रस्त माना जाने लगा था ।
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