Menu
blogid : 18110 postid : 1225759

बढती अश्लीलता – आखिर हम चाहते क्या हैं ।

यात्रा
यात्रा
  • 178 Posts
  • 955 Comments

images (3)

देश मे जब भी बुलंदशहर जैसी कोई घटना होती है एक बहस चल निकलती है कि क्या दिखाया जाना चाहिए और क्या नही । पोर्न साइटस से लेकर उत्तेजक विज्ञापनों पर चर्चाएं गर्म होने लगती हैं । कुछ लोग इन घटनाओं के पीछे बढती अश्लीलता को जिम्मेदार मानते हैं तो कुछ को यह सिर्फ कानून व्यवस्था का ही सवाल लगता है । गिरते नैतिक मूल्यों पर भी कम बहस नही होती । लेकिन अधिकांश लोगों के गुस्से का एक बडा हिस्सा पोर्न साइटस पर केन्द्रित होकर रह जाता है ।

अब सवाल यहां यह है कि क्या सिर्फ पोर्न साइटस को ब्लाग कर देने मात्र से सामाजिक परिवेश मे घुली अश्लीलता खत्म हो जायेगी । देखा जाए तो आज हम जिस अश्लीलता को लेकर चिंतित हैं वह कई रूपों मे हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है । ज्यादा दूर न भी जाए तो क्या हमारी फिल्मे आज परिवार के सभी लोगों के बीच देखने लायक बची हैं । यह फिल्में जिस अधकचरी अश्लीलता को परोस रही हैं वह तो पोर्न फिल्मों यानी खुली नंगई से भी ज्यादा खतरनाक हैं । दोहरे अर्थों वाले गानों की जो छोंक लगाई जा रही हैवह अलग से । लेकिन इधर धर्म व संस्कृति तथा महिला हितों के ठेकेदारों की नजर नही जाती । कारण समझ से परे नही है ।

इसके अतिरिक्त विग़्य़ापनों की एक दुनिया है जिसमे चार इंच की पेंटी पहना कर कानून को अंगूठा दिखाते हुए वह सबकुछ परोस दिया जाता है जिसे हम अश्लील कहते हैं । मांसल देह के भूगोल का यह खुला प्रदर्शन विग़्य़ापनों मे आम बात है । लेकिन आश्चर्य कि यहां भी किसी को अश्लीलता नही दिखाई देती । माडलिंग की यह अधनंगी बालाएं हमारे किशोरों व युवाओं मे जिस उष्मा का संचार करती हैं वैसा तो शायद यह बदनाम पोर्न फिल्में भी नहीं ।

चैनलों के विज्ञापन जब अपनी बेशर्मी का प्रदर्शन करते हैं तो मांबाप बच्चों की उपस्थिति मे इधर उधर देखने का अभिनय करने लगते हैं । लेकिन यहां भी किसी को कोई आपत्ति नहीं । यानी कुल मिला कर हम अश्लीलता के एक ऐसे स्वर्ग मे बैठे हैं जहां से एकाध चीज को हटा देने से कोई खास फर्क नही पडने वाला । वैसे भी सीडी के रूप मे भी यह स्वर्ग आसानी से उपलब्ध है । भय इस बात का भी है कि कहीं इस तरह के आधे अधूरे प्रयास फिर मस्तराम की दुनिया की वापसी का कारण न बन जाएं जो जहर से भी ज्यादे जहरीले साबित होंगे ।

यही नही टविटर पर रोज लगभग लाख न्यूड फोटो पोस्ट किये जाती हैं और यह सब जानबूझ कर । जिससे किशोरकिशोरियों को इस अफीम का आदी बनाया जा सके । लेकिन टविटर के पास इन्हें ब्लाग करने की कोई नीति नही है । रंगीन स्वर्ग की इस दुनिया को यहां कैसे रोक पायेंगे ।

यानी कुल मिला कर इससे कोई विशेष लाभ नही मिलने वाला । हम आधुनिकता व तकनीक की दुनिया मे इतना आगे निकल आये हैं कि इन चीजों को इस तरह के प्रयासों से रोक पाना संभव नही । सच तो यह है कि बदलाव के इस दौर मे हम स्वयं कनफ्यूज दिखाई दे रहे हैं । एक तरफ तकनीक से लबरेज आधुनिकता हमे लुभा रही है तो दूसरी तरफ हमारे पारंपरिक संस्कारों ने अभी पूरी तरह दम नही तोडा है । पहले हम स्वयं निर्णय लें कि आखिर हम चाहते क्या हैं ।

Read Comments

    Post a comment